कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

प्यार -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

 तुम से कुछ लेना न मेरा काम है.
प्यार तो सब कुछ देने का नाम है.

मैं किस हाल में हूं कह नहीं सकता,
मेरी हर सांस पर तेरा ही नाम है.

तेरे सामने जो कह नहीं सकता,
कह रहे ये गीत, गजलें तमाम हैं.

कोई लाख कहे कि हैं गीत मेरे,
ये गीत सारे तेरे ही नाम हैं.

प्यार में किस्मत का क्या रोना,
प्यार किस्मत का दूसरा नाम है.

प्रेम में है प्रभु दौड़े चले आते,
मेरे प्यार का यह क्या अंजाम है.

तुम पास होकर भी अब दूर क्यों हो,
बता, तेरे दिल का क्या पैगाम है.

छिपाने से कभी छिपता नहीं प्यार,
सदियों से यह तो चर्चा-ए-आम है.

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