कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

जइहें रे बदरा जइहें (मगही गीत) -धर्मेन्द्र कुमार पाठक



जइहें रे बदरा जइहें चाइना बॉर्डरवा जइहें. 
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें.

जइहें तू गलवन घाटी, जइहें तू पंचोंग झील 
जइहें बरसते रहीहें बरसते सइयां से कहिहें 
तू हमर देशवा के शान ,तू हमर देशवा के प्राण 
जइहें रे बदरा जइहें चाइना बॉर्डरवा जइहें 
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें
जइहें बरसते रहीहें बरसते सइयां से कहिहें 

बॉर्डरवा पर डटले रहिह, दुश्मन के मार के तू अइह
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें
जइहें बरसते रहीहें बरसते सइयां से कहिहें 
 
तिरंगवा के लाज रखिह, सेनुरा के ताज़ रखिह 
 जइहें रे बदरा जइहें चाइना बॉर्डरवा जइहें 
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें
एक पर लाख के चढ़इह, दुश्मन के मार के तू अइह 
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें 
जइहें बरसते रहीहें बरसते सइयां से कहिहें 

जइहें रे बदरा जइहें चाइना बॉर्डरवा जइहें 
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें
सइयां बिन सजनी के जियरा उदास 
सइयां बिन सजनी के उड़ल सुहाग 
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें

जइहें रे बदरा जइहें पापा  के सनेसा लइहें
जइहें रे बदरा जइहें बाबूजी  के सनेसा लइहें
पापा बिन धियवा के जियरा उदास 
बाबूजी बिन धियवा के जियरा उदास 
पापा बिन धियवा के टूटल आस   
बाबूजी बिन धियवा के टूटल आस 

जइहें रे बदरा जइहें भइया  के सनेसा लइहें
भइया बिन बहिनी के सूजल आँख 
भइया बिन बहिनी के टूटल  पाँख
भइया बिन बहिनी के टूटल आस 

जइहें रे बदरा जइहें ललनवा   के सनेसा लइहें
लाल बिन मइया के सून हई कोखिया 
लाल बिन मइया के सून हई छतिया 

जइहें रे बदरा जइहें ललनवा   के सनेसा लइहें
देशवा के नाज बुढ़वा के लठिया 
उड़ गेलो आज रतिया के नींदिया 
जइहें रे बदरा जइहें ललनवा   के सनेसा लइहें

जइहें रे बदरा जइहें चाइना बॉर्डरवा जइहें. 
जइहें रे बदरा जइहें सइयां के सनेसा लइहें.
         
                    -धर्मेन्द्र कुमार पाठक  
 




 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मोहब्बत -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

क्यों तुम रूठ गई? -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

What to do after 10th (दसवीं के बाद क्या करें)-धर्मेन्द्र कुमार पाठक