कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

होम्योपैथ : चिकित्सा में तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

होम्योपैथ बड़ी तेजी से लोकप्रिय हो रही चिकित्सा पद्धति है। वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।एक सर्वेक्षण के अनुसार इसकी लोकप्रियता 30% की दर से प्रति वर्ष आगे बढ़ रही है। इसकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण सस्ती दवाएं और इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट ना होना है। इसका भविष्य संभावनाओं से भरा है। आज सुदूर गांव से लेकर मेट्रोपॉलिटन शहर तक में लोग होम्योपैथ डॉक्टर को पसंद कर रहे हैं। 
होम्योपैथ मनुष्य के रोग निरोधक क्षमता को मजबूत करने पर बल देता है। आज संपूर्ण विश्व में इसकी व्यापक स्वीकार्यता है। इसके प्रमुख और प्रसिद्ध दवा कंपनियों का जर्मनी और अमेरिका में स्थित होना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
वर्तमान परिदृश्य
एक  ताजा सर्वेक्षण  के अनुसार, भारत में होम्योपैथी का बाजार 5000 करोड़  रुपए के लगभग  है। अगले 2  वर्षों में इसमें दोगुने से भी अधिक वृद्धि होने की संभावना है।
फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में वृद्धि लगभग 20 प्रतिशत ही प्रतिवर्ष देखी जा रही है, जबकि होम्योपैथिक दवाओं का बाजार 25 से 30% की गति से लगातार प्रतिवर्ष वृद्धि की ओर अग्रसर है।
होम्योपैथ का वर्तमान वैश्विक बाजार 26000 करोड़  रुपए  से भी अधिक का है जिसमें प्रतिवर्ष 25% की वार्षिक वृद्धि देखी जा रही है।
वर्तमान में पूरे विश्व में 600 मिलियन से अधिक  लोगों की होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में आस्था है जिसमें  लगातार तेज़ गति से वृद्धि हो रही है। भारत में लगभग 15  करोड़ लोगों की  होमियोपैथ में आस्था  है।एक आकलन के अनुसार, भारत में इस समय लगभग 3 लाख होम्योपैथिक डॉक्टर हैं।
होम्योपैथ का प्रारंभ
जर्मन फिजीशियन सैमुअल हैनीमैन ( 10 अप्रैल, 1755 ई. - 2 जुलाई, 1843 ई.) ने रोग के निदान के लिए  'समरूपता के सिद्धांत' का विकास किया। इसके अनुसार दवा और  रोग के लक्षण में समानता होनी चाहिए।अर्थात रोगों  को  पैदा करनेवाली दवायें उसे दूर भी कर सकती हैं । इसमें  सिम्टम्स के आधार पर इलाज होने से रोग को जड़ से मिटाया जा सकता है। इसे ही होम्योपैथ का आधारभूत सिद्धांत माना जाता है। इसे विकसित करने के कारण ही हैनीमैन को होम्योपैथ का जनक माना जाता है।
भारत में होम्योपैथ सर्वप्रथम बंगाल में आया। 19वीं शताब्दी का दूसरा-तीसरा दशक इसके आगमन का काल माना जाता है। आजादी के बाद भारत में इसका तेजी से प्रचार-प्रसार हुआ। भारत सरकार ने 1952 ई. में होम्योपैथिक एडवाइजरी कमेटी का गठन किया। इसने होम्योपैथ को मान्यता संबंधी अपनी अनुशंसायें  दीं। 1973 ईस्वी में एक एक्ट  द्वारा इसे मान्यता दी गई। 1978 ईस्वी में इसमें रिसर्च हेतु  सेंट्रल काउंसिल आफ होम्योपैथी की स्थापना हुई जिसके द्वारा इस क्षेत्र में नवीन अनुसंधान का कार्य निरंतर प्रगति पर है।
भारत में होम्योपैथ प्रशिक्षण
भारत में होम्योपैथ प्रशिक्षण का प्रारंभ 1983 में हुआ। सर्वप्रथम ग्रैजुएट डिप्लोमा कोर्स का प्रारंभ हुआ। आजकल इसमें एमडी और पीएचडी स्तर तक के कोर्स उपलब्ध हैं। वर्तमान में पूरे देश में 195 स्नातक होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज तथा 43 स्नातकोत्तर  कॉलेज हैं। हालांकि ये अपने क्षेत्र के किसी- न-किसी विश्वविद्यालय द्वारा संबद्ध हैं। बिहार में इस समय 4 होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज हैं।
कोर्स और प्रवेश की योग्यता
1. बीएचएमएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड सर्जरी) -इसमें प्रवेश की योग्यता पीसीबी में 45% अंकों के साथ 10+2 PCB इंटरमीडिएट उत्तीर्ण होना है। मुख्यतः प्रवेश ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम द्वारा होता है। हालांकि कुछ निजी संस्थानों में अंकों के आधार पर भी प्रवेश मिल जाता है। कोर्स की अवधि 5 वर्ष 6 माह है।
2. डीएचएमएस (डिप्लोमा इन होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) -यह 4 वर्षों का कोर्स है। इसमें प्रवेश की योग्यता भी 10+2 PCB ही है।
3. एमडी -यह स्नातकोत्तर स्तरीय कोर्स है। इसमें बीएचएमएस के बाद प्रवेश मिल जाता है। कोर्स की अवधि 3 वर्ष है।
एमडी में होम्योपैथ की किसी विशेष शाखा में विशेषज्ञता प्राप्त की जाती है। पेडियाट्रिक्स, मैटेरिया मेडिका, होम्योपैथिक फिलासफी, साकियास्ट्री (Psychiatry), फार्मेसी और  मेडिसिन विशेषज्ञता के विविध क्षेत्र हैं।
BHMS - Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery
  • Duration: 5 and ½ years
  • Eligibility: 10+2 with PCMB and minimum 50% marks
  • Internship: 1 year

M.D. Homeopathy – Doctor of Medicine in Homeopathy

  • Duration: 3 years
  • Eligibility: BHMS Degree
  • Internship: 1 year residential training
अवसर और आमदनी
सरकारी और निजी अस्पतालों में डॉक्टर के रूप में कार्य करने का सुनहरा अवसर मौजूद है। वेतनमान और भत्ते एमबीबीएस के बराबर ही है। इसके अतिरिक्त चैरिटेबल इंस्टीट्यूट और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में भी योगदान दिया जा सकता है। प्रमुख क्लीनिक भी डॉक्टरों की सेवाएं लेते हैं। इसके लिए भी आकर्षक वेतन और सुविधाएं मुहैया कराते हैं। अपना स्वयं का क्लीनिक खोलकर प्रैक्टिस करने का विकल्प तो है ही। एमडी करने के बाद विभिन्न होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में अध्यापन का सुअवसर भी है।
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
  • Guru Govind Singh Indraprasth University (Dr B R Sur homeopathic research centre New Delhi110028)
  • Website-www.delhihomeo, htt://ggsipu.nic.in
  • Maharashtra university of health sciences, Nasik -42205
  • Website -www.muhsnashik
  • North Gujarat university,  university road patan 384 265
  • Website www.ngu.ac.in
  • NTR university of health science, Hyderabad 500016 (AP)
  • University of Kolkata Kolkata 700 473
  • University of Delhi
  • (Nehru Homeopathic Medical College, New Delhi e11 1001
  • Babasaheb Bhimrao Ambedkar Bihar University Muzaffarpur.
  • National Institute of Homeopathic, Salt Lake, Kolkata (WB)
  • Website: www.nih.nic.in
  • Bakson Homeopathic Medical college, 36B, Knowledge Park, Phase-1, Greater Noida, Uttar Pradesh
  • Email :college@ bakson.nit
  • Website: www.bakson.net
बिहार के प्रमुख होम्योपैथिक शिक्षण संस्थान 
  • RBTS Govt Homeopathic Medical College, Muzaffarpur 
  • Dr R B Singh GMCH,Gaya
  • GD Memorial Homoeopathic Medical College and Hospital, Patna
  • Magadh Homoeopathic Medical College and Hospital, Nalanda

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