कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

संस्कृत में कैरियर -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

संस्कृत का संबंध हमारी संस्कृति से है। अब यह मात्र परंपरागत विषय नहीं अपितु आजीविका का साधन भी है। आज अनेक लोग इसका अध्ययन कर रोजगार के विविध क्षेत्रों से जुड़े हैं। विदेशों में भी संस्कृत के विद्वानों की मांग है। जिन्हें अपनी संस्कृति और संस्कार की समझ है वैसे विद्वान अप्रवासी भारतीय लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके लिए अंग्रेजी जैसी संपर्क भाषा का ज्ञान उनकी अहमियत को बढ़ा देता है। प्रस्तुत है संस्कृत में उपलब्ध रोजगार पर एक दृष्टि:

शैक्षणिक क्षेत्र
माध्यमिक विद्यालय में संस्कृत शिक्षक बनने के लिए शिक्षा शास्त्री की डिग्री आवश्यक है। संस्कृत के साथ बीए और बीएड की डिग्री संस्कृत शिक्षक बनने का मार्ग प्रशस्त करती है। शास्त्री उत्तीर्ण होने पर सेना में धार्मिक शिक्षक के रूप में जूनियर कमीशन ऑफिसर रैंक पर नियुक्ति हो सकती है। संस्कृत में एमए, एमफिल, आचार्य और पीएचडी के साथ नेट परीक्षा उत्तीर्ण होने पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में संस्कृत विभाग में प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति हो सकती है। इसके अतिरिक्त संस्कृत में मास्टर डिग्री होने पर यूजीसी और अन्य विश्वविद्यालयों में शोध सहायक के रूप में कार्य किया जा सकता है।
प्रवेश प्रक्रिया
भारत के प्रायः प्रत्येक राज्य में सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा संस्कृत शिक्षण का कार्य किया जाता है। पूरे देश में इस तरह के कई विश्वविद्यालय, विद्यापीठ, महाविद्यालय और विद्यालय अवस्थित हैं। इनमें माध्यमिक स्तर से लेकर शास्त्री, आचार्य, एमए, एमफिल और पीएचडी स्तर तक की पढ़ाई होती है।
शास्त्री माध्यमिक परीक्षा के बाद 5 वर्षों का ऑनर्स कोर्स है। इसमें 2 वर्षीय उपशास्त्री भी शामिल है।शास्त्री उत्तीर्ण होने पर शिक्षा शास्त्री कोर्स में दाखिला मिल जाता है। प्रमुख संस्थानों द्वारा कुशाग्र बुद्धि छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाती है।
शास्त्री या संस्कृत में बीए ऑनर्स के बाद आचार्य या एमए में प्रवेश मिल जाता है। शास्त्री के बाद आचार्य में साहित्याचार्य, व्याकरणाचार्य, ज्योतिषाचार्य, वेदाचार्य और दर्शनाचार्य अलग-अलग विशेष कोर्स हैं।
प्रशासनिक क्षेत्र
शास्त्री उत्तीर्ण विद्यार्थी आईएएस की परीक्षा में बैठने के पात्र हैं। संस्कृत में एमए या आचार्य होने पर मानव संसाधन विकास विभाग में संस्कृत पदाधिकारी, संस्कृत सलाहकार और संस्कृत अनुभाग अधिकारी पद पर नियुक्ति की पात्रता आ जाती है। इसके अतिरिक्त एनसीईआरटी, सीबीएसई, अकादमिक और भाषा विभाग में विभिन्न राज्यों में नियुक्ति का अवसर है। मानव संसाधन विभाग, हिंदी विभाग, भारतीय रेलवे, बैंक और अन्य मंत्रालयों में भी संस्कृत में स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त लोगों को अनुवादक या भाषा अधिकारी के रूप में नियुक्ति में वरीयता दी जाती है।
पत्रकारिता
विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में संस्कृत में उच्च योग्यता धारी व्यक्ति को काम करने का भरपूर मौका मिलता है। संस्कृत में शास्त्री, आचार्य, और एमए किये लोगों को संपादक, सह-संपादक, प्रूफरीडर और अनुवादक के पद पर नियुक्ति की जाती है। आजकल भारत में संस्कृत में दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक समाचारपत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं। दो दैनिक समाचार पत्रों के साथ इनकी संख्या आज लगभग 50 है। इसके अतिरिक्त विभिन्न विश्वविद्यालय भी संस्कृत में पत्रिकाओं का प्रकाशन करते हैं।
आकाशवाणी और दूरदर्शन
आकाशवाणी और दूरदर्शन पर भी संस्कृत में समाचार प्रसारित होते हैं। इसमें उद्घोषक, समाचार-संपादक, समाचार-वाचक और अनुवादक के पद होते हैं, जिन पर संस्कृत में शास्त्री, आचार्य, बीए और एमए योग्यताधारी व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है।
ज्योतिष
संस्कृत में आचार्य या ज्योतिषाचार्य के लिए भी अच्छा मौका है। आजकल विभिन्न समाचार चैनलों में ज्योतिषाचार्य की जबरदस्त मांग है। जिन्होंने ज्योतिष, वेद, दर्शन, कर्मकांड (पौरोहित्य) या साहित्य में आचार्य किया है, उनके लिए ज्योतिषी के रूप में कार्य करने के बेशुमार अवसर हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न संस्कृत महाविद्यालय, विद्यापीठ और विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य भी किया जा सकता है। धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न कराने पर भी आमदनी हो सकती है।

 कुछ प्रमुख संस्कृत प्रशिक्षण संस्थान :

- राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली

- श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली

- कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बिहार

- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, बनारस

- तिरुपति संस्कृत विद्यापीठ, आंध्र प्रदेश

- दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

- सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली

- जेएनयू, दिल्ली

- पटना विश्वविद्यालय, पटना

- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस

- इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद

-संस्कृत महाविद्यालय, इंदौर (मप्र)।

-विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (मप्र)।

 -महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन (मप्र)।


गंगानाथ झा परिसर, इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश)।

गुरुवायूर परिसर, पुरानाटुकरा, त्रिचूर (केरला)

राजीव गांधी परिसर, श्रृंगेरी, (कनार्टक)।
 
श्री सदाशिव परिसर, पुरी, (उड़ीसा)।

जयपुर परिसर, जयपुर, (राजस्थान) . 

लखनऊ परिसर, लखनऊ, (उत्तरप्रदेश)।

गरली परिसर, गरली, (हिमाचल प्रदेश)।

केजे सौमैया संस्कृत विद्यापीठ, मुम्बई परिसर, (मुम्बई)।

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