कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

कोरोना-गीत -धर्मेन्द्र कुमार पाठक




होलिया बीतलइ  भइया रे 
दिवलियो बीततइ नS. 
कोरोना से देशवा हमर 
जरू रे जीततइ  नS. 

बच-बच के रहिह सब लोग 
आउ मास्क पहिन के चलिह 
मास्क न रहतो तो तू  गमछा
ले के ही तब निकलिह
साबुन से हथवा मलब तो 
कीटाणु मरतइ नS.  

खान-पान के ध्यान तू रखिह 
तुलसी-अदरक पीहS
कभी गिलोय के स्वरस दिन में 
एक-दु-बार तू लीहS
नमक-पानी से करिह गलगला 
तन क्षमता बढ़तइ नS.

सरकारी अमला कर रहलन हे 
इहाँ अपन-अपन काज
अपनही संभल के रहेला हे 
हमनी सब के आज 
अपन रक्षा अपने ही करेके 
समइया अयलइ नS.

-धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

 
  

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