प्रतिदिन ही चहकती है हवा.
प्रतिपल ही बहकती है हवा.
रगों में मिलती है हवा.
ना तो कभी रुकती है हवा.
ना तो कभी थकती है हवा.
हर प्रहर बस चलती है हवा.
हर घड़ी बस चलती है हवा.
हम सबकी ज़िन्दगी है हवा.
हम सबकी बंदगी है हवा.
बहुत बात बताती है हवा.
बहुत बात सुनाती है हवा.
कभी बहुत हँसाती है हवा.
कभी बहुत रुलाती है हवा.
इस ज़िन्दगी का हरेक रंग,
हम सब को दिखाती है हवा.
कभी दिल को भाती है हवा.
कभी बहुत सताती है हवा.
हमारा प्यार परखने हेतु,
प्रतिपल आजमाती है हवा.
प्रिया से मिल आती है हवा.
क्या -क्या गुल खिलाती है हवा.
यूं ही नहीं चलती है हवा.दिल की बात कहती है हवा.
जो बात तुम कह नहीं पाती,
वह भी बता देती है हवा.
बिन कहे सबकुछ सभी को अब,
यों ही जता देती है हवा.
तेरी - मेरी मुलाकात की,
बात सभी बताती है हवा.
अकेले - अकेले मिलने को,
तुमसे अब बुलाती है हवा.
तुम्हारी सांसों की खुशबू,
लिए मुझसे मिलती है हवा.
चुपके - से तेरी बाहों पर,
हर पल थिरकती है हवा.
मदिर-मदिर अधरों का मधुरस,
मेरी सांसों में भरती है हवा.
बहुत मस्त दिखाती है अदा,
जब कचों से मिलती है हवा.
कर देती मदहोश मुझे जब,
ओढ़नी से उड़ती है हवा.
राह भूल जाता हूँ मैं जब,
तुझे छू कर मुड़ती है हवा.
मेरा चुम्बन तेरे कपोल,
नित प्यार से धरती है हवा.
जी भर -भर कर तुझे चूम लूँ,
बस यही अब कहती है हवा.
जगत से रूठकर एक दिन,
तुम में समा जायेंगे हवा.
फिर हम अपने गीत किसीको,
कभी न सुना पायेंगे हवा.
अधरों से प्रिया के लिपटकर,
मधुर हम मुसकायेंगे हवा.
एक दिन बन जायेंगे हवा.
हम भी गुनगुनायेंगे हवा.
-धर्मेन्द्र कुमार पाठक.
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