कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

तुझे क्या मिला -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

तिरंगे  का   करके  अपमान  तुझे  क्या मिला?
ओ  धरती  के भगवान!  बता  तुझे क्या मिला?

तुम    तो    कहते   थे   तिरंगा   मेरी   शान  है;
तुम    तो   कहते    थे   तिरंगा   मेरी   जान  है;
खोकर  अपनी  पहचान  बता तुझे  क्या मिला?
ओ   धरती  के  भगवान  बता  तुझे क्या मिला?

पूछता  है   अब लाल   किला  का  यह  प्राचीर;
रक्षा   में   जिसकी   मिट  गए  हैं   कितने  वीर;
तुम  बस  भांजते  रह   गए  हो  यहां   शमशीर;
शर्मसार  कराके   बलिदान   तुझे   क्या  मिला?

                                    -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

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