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कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

चलना ही है -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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विरह -मिलन प्रतिपल की घटना ही है। जीवन को  तो  आखिर  मिटना ही है।। सम्मान  मिले,  अपमान मिले  जग  में; कर्म  अपना  तो  नित्य  करना ही  है।। अब  क्या  है  इस  माटी  की काया में; सांसों  को  तो आखिर चलना  ही  है।। कब   तक   देखेंगे   हम   मीठे  सपने; आंखों  को तो  आखिर खुलना ही है।। यह  साथ  सुहाना भी क्षण भर का है; अंत   में  अकेला  तो  चलना ही  है।। सुबह  सुहानी  में  कब तक सैर करूं; सूरज को  तो आखिर ढलना  ही  है।। चाहे जितना भी अब प्रीत निभाओ; आखिर में  मिलना  तो छलना ही है।। जिसकी जितनी होती मीठी बोली; जहर घुला  उसमें  तो उतना ही है।।                     -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

बेकरार होके देख -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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किसी के प्यार में ज़रा बेकरार होके देख. पतझड़ -सी  जिंदगी में  बहार होके देख. मुरझे दिल में खुशी क्यों खिल नहीं सकती; हर  घड़ी  के  लिए  अब त्योहार होके देख. हर दर्द मिट जाता है  इक नजर मिलने से; किसी  के  लिए  सारा  संसार  होके  देख. हर  कदम पर  दुनिया दिखाती है नया रंग; हर  दिल के  लिए  ज़रा इकरार होके देख.  एक  दूजे  से  जुदा  कभी  हो नहीं सकते; स्वयं  को  सब  में  यहां विस्तार होके देख.                            -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

प्यार कर -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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किसी   की  अदाओं  पर ना तू  ऐतबार कर. करना है तो जी भरकर प्यार कर, प्यार कर. वफा  की  उम्मीद  में  आंखें  ज़रा चार कर; कुछ  भी  हो  जाए पर प्यार कर, प्यार कर. हम   आंखें   बिछा   रखे   तेरे   इंतज़ार में; एक  नजर  को  तू  दीदार कर,  दीदार कर. हर   जवानी    की   होती  कोई   कहानी है; आज फुर्सत में जरा विचार कर, विचार कर. अब  सुकून  से  बैठकर  तू  जरा  बात कर; इस  हाल  में  न  तू  इंकार  कर, इंकार कर.                                -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

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