कइसे जियब ए जान...

तोरा  बिना  हम  कइसे  जियब ए जान. अन्दरे   हमर   दिल   खखोरैत  हे परान.               दिलवा   हमर  तो   हे  केतना  नादान,                तनिको   ना    रह   हे   एकरा  धेयान. चोरी - चोरी  रोज  हम  करहिओ बात, तैयो  ना   जिउआ  हमर  जुड़ा हे जान.                   मोबलिया से  हमर  मनमा ना भर हौ,                    मिलेला  मनमा अबतो खूब छछन हौ.  दुखवा के तू कब  आके करब निदान, मिलेला   तोरा  से  छछनैत   हौ प्रान.                                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

रिश्ता प्यार का

रिश्ता प्यार का
          ‌‌‌‌‌             -धर्मेन्द्र कुमार पाठक 

खूब     मुस्कुराइए,    ठहाका    लगाइए।
मगर  कभी  बेवजह  प्यार  मत जताइए।।

मुश्किलों  के  वक्त  अगर  साथ ना दे तो
दिल  को  झूठे  ख्याल में  मत  फंसाइए।।

जो  लिखा  है  किस्मत में वह मिलेगा ही,
सुख-दुख में बस एक -सा साथ निभाइए।।

तन्हाइयों   में   खुद   से  करता  हूं  बात,
 झूठे  साथ  का  अहसास  मत दिलाइए।।

मिलने का मन हो यदि तो मिलिए जरूर,
झूठ - मूठ   कभी  बहाना  मत  बनाइए।।

अब  खुशी  से  आइए,  खुशी  से जाइए;
रिश्ता  प्यार  का  है,  प्यार से निभाइए ।।

खुद से मिलने का मजा ही  कुछ और है,
एक  बार  नजर  से  नजर तो मिलाइए।।

दिल में बैठकर कभी दिल मत टटोलिए, 
हिम्मत है तो दिल से  दिल तो मिलाइए।।

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